11/03/2025
सरिस्का में वन्यजीवों के संरक्षण के नाम पर पर्यटन माफिया का खेल, प्रशासन की चुप्पी संदिग्ध
सरिस्का, अलवर: सरिस्का टाइगर रिजर्व में पर्यटन को बढ़ावा देने के नाम पर जंगलों के अंदर अवैध गतिविधियाँ हो रही हैं, और यह सब अधिकारियों की मिलीभगत से संभव हो रहा है। हाल ही में वायरल हुई तस्वीरें बताती हैं कि जंगल के अंदर खुले में टेबल लगाकर डिनर पार्टी का आयोजन किया गया, जो साफ तौर पर वन्यजीव संरक्षण कानूनों का उल्लंघन है। सवाल यह उठता है कि आखिर बिना प्रशासन की अनुमति के जंगल में इस तरह की लग्जरी सुविधाएँ कैसे दी जा रही हैं?
कैसे चल रहा है यह खेल?
पर्यटन के नाम पर जंगल में पार्टियों का यह सिलसिला नया नहीं है। सरिस्का के आस-पास के रिसॉर्ट्स और होटल पर्यटकों को विशेष अनुभव देने के नाम पर मोटी रकम वसूलते हैं और उन्हें जंगल के अंदर खास लोकेशनों पर गुप्त डिनर, फोटोग्राफी, और पार्टी जैसी सुविधाएँ देते हैं। इस दौरान न सिर्फ बाघों और अन्य वन्यजीवों को परेशानी होती है, बल्कि पर्यावरणीय संतुलन भी बिगड़ता है।
सूत्रों के अनुसार, यह सब वन विभाग के कुछ अधिकारियों और स्थानीय पर्यटन माफिया की मिलीभगत से हो रहा है। बड़े रिसॉर्ट्स और टूर ऑपरेटर मोटी रकम देकर अधिकारियों की आँखें बंद करवा देते हैं, जिससे इन अवैध गतिविधियों पर कोई कार्रवाई नहीं होती।
वन्यजीवों पर गहरा असर
• शोर-शराबे और रोशनी से जंगल में रहने वाले जानवर डरकर अपने प्राकृतिक आवास छोड़ देते हैं।
• बाघों और अन्य शिकारी जीवों का व्यवहार प्रभावित होता है, जिससे वे भोजन और शिकार में असहज महसूस करते हैं।
• अवैध पार्टियों और टूरिज्म के कारण जंगल में कचरा और प्रदूषण बढ़ रहा है, जिससे पारिस्थितिकी तंत्र प्रभावित हो रहा है।
प्रशासन की चुप्पी क्यों?
सरिस्का में इस तरह की घटनाएँ कोई नई बात नहीं हैं, लेकिन हर बार प्रशासन इस पर चुप्पी साध लेता है। बड़ा सवाल यह उठता है कि आखिर बिना सरकारी संरक्षण के इतने बड़े स्तर पर यह अवैध गतिविधियाँ कैसे चल रही हैं? जब आम लोगों के लिए जंगल में प्रवेश के सख्त नियम लागू किए जाते हैं, तो फिर रसूखदार लोग इन नियमों को तोड़कर ऐसी लग्जरी सुविधाएँ कैसे ले सकते हैं?
सरिस्का टाइगर रिजर्व सिर्फ पर्यटन स्थल नहीं है, यह बाघों और अन्य दुर्लभ वन्यजीवों का घर है। यदि वन विभाग और प्रशासन अपनी जिम्मेदारियों से बचता रहा, तो यह रिजर्व जल्द ही अपने अस्तित्व को खो देगा। सवाल यह है कि क्या सरकार और प्रशासन इस पर कोई सख्त कदम उठाएंगे
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