18/03/2025
तारापीठ के आसपास के कुछ पारंपरिक दर्शनीय स्थल और तीर्थस्थल:🙏
👉शांति निकेतन – यह कविगुरु रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा स्थापित विश्व भारती विश्वविद्यालय के लिए प्रसिद्ध है। यह बसंत उत्सव, पौष मेला और कला-संस्कृति के लिए अद्वितीय स्थान है।
👉सोनाझूड़ी हाट – शांति निकेतन के पास कोपाई नदी के तट पर स्थित एक प्रसिद्ध बाजार है। यहाँ शांति निकेतन के बाउल गीत, आदिवासी नृत्य और हस्तशिल्प का एक अनूठा संगम देखने को मिलता है। यह बाजार हाथ से बनी कलाकृतियों, साड़ियों, आभूषणों, लकड़ी की नक्काशी और पॉट चित्रकला के लिए प्रसिद्ध है। शांति भरा वातावरण और बाउल संगीत की मधुर ध्वनि इस हाट को पर्यटकों के लिए और भी आकर्षक बनाती है।
👉मामा-भांजा पहाड़ – बीरभूम का एक प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर स्थल, जहाँ की अनूठी चट्टानी संरचना यात्रियों को आकर्षित करती है।
👉एकचक्र धाम, बीरचंद्रपुर – तारापीठ से लगभग 9 किलोमीटर दूर स्थित यह पवित्र गाँव श्री नित्यानंद महाप्रभु का जन्मस्थान है। यह वैष्णव धर्म का एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है, जहाँ कई ऐतिहासिक मंदिर स्थित हैं, जैसे:
🔹 बाँका राय मंदिर
🔹 जगन्नाथ मंदिर – पुरी के जगन्नाथ मंदिर की तर्ज पर निर्मित यह मंदिर भक्तों के आकर्षण का केंद्र है।
🔹 इस्कॉन मंदिर – श्रीकृष्ण और नित्यानंद के भक्तों के लिए एक विशेष स्थान।
🔹 निताई बाड़ी – इसे नित्यानंद प्रभु का वास्तविक जन्मस्थान माना जाता है।
🔹 श्री चैतन्य सरस्वत कृष्णानुशीलन संघ – वैष्णव साधना और प्रचार का एक प्रमुख केंद्र।
🔹 पांडवतला – कहा जाता है कि पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान कुछ समय यहाँ बिताया था।
👉घोष ग्राम – बीरभूम जिले का एक ऐतिहासिक और पवित्र गाँव, जहाँ माँ लक्ष्मी का मंदिर स्थित है। इस मंदिर में 600 वर्ष पुरानी लकड़ी से बनी माँ लक्ष्मी की मूर्ति है।
👉हेतमपुर राजबाड़ी – तारापीठ से लगभग दो घंटे की दूरी पर स्थित, यह बीरभूम जिले की एक भव्य ऐतिहासिक इमारत है। इस विशाल महल की वास्तुकला ग्रीक शैली की है। कहा जाता है कि इस महल में 999 दरवाजे थे, जो मुर्शिदाबाद के हजारद्वारी महल से एक दरवाजा कम है।
👉आकालिपुर – तारापीठ से लगभग 30 किमी दूर स्थित यह ऐतिहासिक गाँव भद्रपुर-आकालिपुर के नाम से जाना जाता है। यहाँ 232 साल पुराना एक प्राचीन मंदिर स्थित है, जो अब भी महाराज नंदकुमार की स्मृतियों को जीवित रखता है। इस मंदिर में काले पत्थर से बनी एक अद्भुत मूर्ति है। ऐसा माना जाता है कि महाभारत काल में मगध के राजा जरासंध यहाँ गुप्त काली की पूजा करते थे।
👉तारापीठ भारतसेवा संघ – तारापीठ मंदिर के निकट स्थित यह मंदिर भारत सेवाश्रम संघ द्वारा निर्मित एक अद्भुत धार्मिक स्थल है। दो मंजिला इस मंदिर की प्रत्येक दीवार पर सुंदर मूर्तिकला उकेरी गई है, जो इसकी धार्मिक और ऐतिहासिक महत्ता को दर्शाती है। इसमें श्रीकृष्ण और अर्जुन सहित विभिन्न पौराणिक घटनाओं की उत्कृष्ट कला देखने को मिलती है।
👉पाथरचापुरी – सिउड़ी के पास स्थित पाथरचापुरी गाँव के दाताबाबा की दरगाह बीरभूम के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। यह स्थान सभी धर्मों के लोगों के लिए श्रद्धा और आस्था का केंद्र है। हज़रत दाताबाबा मेहबूब शाह एक महान सूफी संत थे, जिन्हें उनकी उदारता और दानशीलता के कारण "दाताबाबा" के नाम से जाना जाता है। यहाँ हिंदू-मुस्लिम सभी श्रद्धालु मनोकामनाएँ पूर्ण होने की आशा लेकर आते हैं।
👉कलेश्वर शिव मंदिर – तारापीठ से लगभग 25 किमी दूर यह प्राचीन शिव मंदिर बीरभूम का एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। कहा जाता है कि पराशर नामक एक ऋषि ने यहाँ देवी पार्वती की कठोर तपस्या की थी। इस स्थान का नाम पहले "पार्वतीपुर" था, जो बाद में "कलेश्वर" के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
👉फुल्लरा मंदिर (शक्तिपीठ) – तारापीठ से लगभग दो घंटे की दूरी पर स्थित यह 51 शक्तिपीठों में से एक है। मान्यता है कि यहाँ माता सती का अधर (निचला होंठ) गिरा था, जिससे यह स्थान अत्यंत पवित्र और शक्तिशाली माना जाता है।
👉नलाटेश्वरी मंदिर (शक्तिपीठ) – तारापीठ से लगभग 22 किमी दूर स्थित यह शक्तिपीठ माना जाता है कि यहाँ देवी सती का कंठदेश गिरा था। इस मंदिर की आध्यात्मिक शक्ति भक्तों को विशेष रूप से आकर्षित करती है।
👉कंकाली तला (शक्तिपीठ) – यह बीरभूम जिले का एक प्रसिद्ध शक्तिपीठ है, जहाँ माता सती का कंकाल गिरा था, ऐसी मान्यता है।
👉कीरीटेश्वरी मंदिर (शक्तिपीठ) – यह शक्तिपीठ वह स्थान है, जहाँ देवी सती का मुकुट गिरा था।
👉नंदीकेश्वरी तला (शक्तिपीठ) – तारापीठ के निकट स्थित यह शक्तिपीठ माना जाता है कि यहाँ माता सती का कंठहार गिरा था।
👉बक्रेश्वर (शक्तिपीठ) – बीरभूम का एक प्रमुख शक्तिपीठ, जिसे पुराणों में अष्टवक्र मुनि की तपस्थली के रूप में वर्णित किया गया है। मान्यता है कि यहाँ माता सती का भ्रूमध्य (मस्तिष्क) गिरा था, जिससे यह स्थान अति पवित्र माना जाता है।
👉डाबुकेश्वर शिव मंदिर – यह प्राचीन शिव मंदिर तारापीठ के समीप स्थित है और इसका संबंध माँ तारा के भैरव से है। यहाँ बामाखेपा बाबा के गुरु श्री श्री कैलाशपति बाबा ने सिद्धि प्राप्त की थी।
👉मल्लेश्वर शिव मंदिर – बीरभूम के मल्लारपुर में स्थित यह प्राचीन शिव मंदिर एक पवित्र तीर्थ स्थल है। मान्यता है कि महाभारत काल में पांडवों की माता कुंती ने यहाँ शिव की पूजा की थी।
👉मौलिक्षा मंदिर – तारापीठ से लगभग 18 किमी दूर झारखंड के दुमका जिले में स्थित यह मंदिर अपने प्राचीन टेराकोटा मंदिरों और आध्यात्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। कभी इस गाँव में 108 मंदिर थे, जिनमें से अब 72 बचे हैं। यहाँ की प्रमुख देवी माँ मौलिक्षा हैं, जिन्हें माँ तारा की बड़ी बहन माना जाता है।
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