A number of power stations have been established in Sonbhadra district which makes it the power capital of India. पर्वत मालाओं एवं जंगलो से आच्छादित तथा प्राकृतिक सम्पदाओं से परिपूर्ण मिर्जापुर के दक्षिणांचल को दिनांक 04 मार्च, 1989 को विभाजित कर जनपद सोनभद्र का नव सृजन हुआ। यह नया जनपद दक्षिण में मध्य प्रदेश के सरगुजा एवं सीधी पूरब में बिहार प्रदेश का पलामू पश्चिम में मध्य प्रदेश का रीवा तथा उत्त
र में मिर्जापुर से घिरा हुआ है। धार्मिक एवं सास्कृतिक दृष्टिकोण से मिले प्रमाणों के आधार पर रामायण एवं महाभारत काल के सांस्कृतिक चिन्ह यहां प्राप्त हुयें है। महाभारत युद्ध में जरासन्ध ने अनेक नरेशों को यहीं बन्दी बनाकर रखा था। तृतीय शताब्दी में कन्तित कान्तिपुरी नागवंशीय वाकाटक राजवंश के राजाओं की राजधानी रही है और नवीं शताब्दी तक इसका प्रभुत्व रहा है। इसी क्षेत्र में कोल राजाओं एवं आभोर वंश के प्रतापी राजाओं का भी राज्य था। इस जनपद में स्थित अगोरी दुर्ग पर गदनशाह विजयगढ़ दुर्ग पर काशी नरेश चेत सिंह एवं सोढ़रीगढ़ पर गढ़वाल राजाओं का अधिपत्य था।2359;ेत्रफल 7388.80 वर्ग किमी है जो 23.52 और 25.32 उत्तरी अक्षंाश तथा 82.72 एवं 83.33 पूरवी देशान्तर के मध्य में स्थित है। प्रशासनिक दृष्टि से इसे तहसील रावर्टर््सगंज दुद्धी एवं घोरावल तथा विकास खण्ड रावटर््सगंज चोपन चतरा नगवाँ दुद्धी घोरावल बभनी एवं म्योरपुर में विभाजित किया गया है। वर्तमान में इस जिले का मुख्यालय रावटर््सगंज में है।सोनभद्र सोनांचल की सरजमी कई मायनों में अपनी विशिष्टता के कारण प्रदेश में ही नहीं बल्कि पूरे देश के मानचित्र में भी कोहिनूर की मानिंद दैदिप्यमान है। अपनी खनिज सम्पदाओं के कारण प्रदेश में तो इसका स्थान अद्वितीय है ही साथ ही ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में भी देश के अग्रणी जनपदों में प्रथम पायदान पर मानी जाती है। यहां की सांस्कृतिक विरासतें अपने आप में एक अनूठीं सामग्रीयों को समेटे हुए है। सोनांचल की भौगोलिक दुरूहता अन्य लोगों के लिए भले ही खले लेकिन वहां के वनवासियों के लिए तो यहां परिस्थिति प्रकृति में ऐसी रची बसी है कि इसके बगैर वे जीवन की समरसता की कल्पना भी नहीं कर सकते। प्रदेश के सर्वाधिक वन क्षेत्र वाले इस जनपद के तकरीबन पांच ब्लाकों में आदिवासी संस्कृति, कला, नृत्य व गायन के कद्रदान देश के जाने माने लोग है। पर्यटन की दृष्टि से यदि इस जनपद के प्रमुख स्थलों को विकसित कर दिया जाय तो विश्व के पर्यटन मानचित्र में सोनभद्र का नाम आदर से लिया जाता है।