11/05/2022
"Yellow himalayan raspberry (हिसालू)".
Health Benefits - Beneficial for fevers, gastric troubles, diarrhea, dysentery, colic, peptic ulcers, stomach pain and headaches, diabetes and Jaundice.
हिसालू’, उत्तराखंड का एक ऐसा अद्वितीय और बहुत स्वादिष्ट फल है जो पहाड़ी क्षेत्रों में, मुख्य रूप से अल्मोड़ा, नैनीताल, बागेश्वर, चम्पावत और पिथौरागढ़ के अनेक स्थानों में पाया जाता है। यो कांटेदार छोटी-छोटी झाड़ियों वाला होता है, जो मध्य हिमालय में अधिक मात्रा में पाया जाता है। मई-जून के महीने में पहाड़ की रूखी-सूखी धरती पर छोटी झाड़ियों में उगने वाला एक जंगली रसदार फल, Rubus ellipticus नाम से जाना जाता है, जो एक Rosaceae कुल की झाडीनुमा वनस्पति है।
हिसालू फलों में प्रचुर मात्र में एंटी ऑक्सीडेंट की अधिक मात्रा होने की वजह से ये शरीर के लिए काफी गुणकारी माना जाता है। हिसालू की ताजी जड़ के रस का प्रयोग करने से पेट सम्बंधित बीमारियों दूर हो जाती हैं और इसकी पत्तियों की ताजी कोपलों को ब्राह्मी की पत्तियों और दूर्वा (Cynodon Dactylon) के साथ मिलाकर स्वरस निकालकर पेप्टिक अल्सर की चिकित्सा की जाती है। इसके फलों से प्राप्त रस का प्रयोग बुखार, पेट दर्द, खांसी औऱ गले के दर्द में बड़ा ही फायदेमंद होता है।
इसकी छाल का प्रयोग तिब्बती चिकित्सा पद्धतिमें भी सुगन्धित और कामोत्तेजक प्रभाव के लिए किया जाता है। इस फल के नियमित उपयोग से किडनी-टोनिक के रूप में भी किया जाता है और साथ ही साथ नाडी-दौर्बल्य, अत्यधिक है।