23/02/2025
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*⚀_ बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम _,⚀*
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*👀_ जब _आंख _खुलेगी _👀*
*▒ पोस्ट↝ ▒*
*⊙:➻ हुक़ूक़ की तलाफी की सूरतें _,*
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*✪_क़यामत के दिन हुकूक से अहद बरा होने के लिए ज़रूरी है कि अववल तो आदमी किसी का हक़ अपने जिम्मे न रखे, बल्की पूरी दयानत व अमानत के साथ अपने मामलात को साफ रखे और किसी की गीबत वगेरा से परहेज़ करें और अगर गफलत कोताही की वजह से उसके ज़िम्मे कुछ हुकूक लाज़िम हों तो उसकी तलाफ़ी व तदारिक की कोशिश करे,*
*✪"_ और तालाफ़ी की तफ़सील ये है कि हुक़ूक़ या माली होंगे या इज्ज़त व आबरू से मुताल्लिक़ और दोनो सूरतो में साहिबे हक़ मालूम होगा या नहीं ? पस ये कुल चार सूरतें हैं:-*
*"1.अव्वल - हक माली हो और साहिबे हक़ मालूम हो, इस सूरत में उसका हक़ अदा कर दे, और अगर अदा करने की क़ुदरत ना रखता हो तो उससे माफ़ करा ले,*
*✪"_2. दोम - हक़ माली हो और साहिबे हक़ मालूम हो, मसलन किसी शख़्स से कोई चीज़ खरीदी थी, उसके दाम अदा नहीं किए और वो शख्स कहीं गायब हो गया, अब उसका कुछ पता नहीं चलता, या वो शख्स मर गया और उसका कोई वारिस भी मालूम नहीं, तो इस सूरत में इतनी रकम उसकी तरफ से सदका़ कर दे,*
*✪"_सोम 3.:- अगर हक़ गैर माली हो और साहिबे हक़ मालूम हो, मसलन किसी को मारा था या उसे गाली दी थी, या उसकी गीबत की थी या उसकी तहकीर की थी तो उससे माफी मांगना जरूरी है,*
*✪"_ 4.चहारम:- अगर हक़ गैर माली हो और असहाबे हुकूक मालूम ना हो, यानी ये याद ना हो कि जिंदगी भर में किस किस को गाली दी? किस किसको सताया? किस किसकी गीबते की ? वगेरा वगेरा, तो इसकी तदबीर ये है कि उन सबके लिए दुआ व इस्तगफार करता रहे, अल्लाह ताला की बरगाह में कुछ तौबा व नादमत के साथ ये दुआ करता रहे - या अल्लाह मेरे जिम्मे तेरे बहुत से बंदो के हुक़ूक़ हैं और मैं उनको अदा करने या असहाबे हुकूक से माफ़ी माँगने पर भी कादिर नहीं हूँ, या अल्लाह! उन तमाम लोगों को आप अपने ख़ज़ाना रहमत से बदला अता फरमाकर उनको मुझसे राज़ी कर दीजिए,*
*✪_ यही तदबीर इस सूरत में अख्त्यार की जाए, जब साहिबे हक़ तो मालूम हो मगर उससे माफी मांगना मुमकिन ना हो या दीनी मसलिहत के खिलाफ हो, या किसी का माली हक़ उसके जिम्मे हो मगर ये उसके अदा करने की क़ुदरत ना रख्ता हो ,*
*"_ अलगर्ज़! हुकूक की अदायगी या तलाफ़ी का बहुत ही अहतमाम होना चाहिए, वरना क़यामत का मामला बहुत ही मुश्किल है,*
*🗂️_ जब आंख खुलेगी _105 ( हजरत युसुफ लुधियानवी शहीद रह.)*