29/07/2024
कांवड़ लेकर निकले भोलेनाथ के भक्त, जानें कांवड़ यात्रा का महत्व और नियम
सावन माह में कांवड़ यात्रा शुरू हो चुकी है, इस वजह से हर जगह उत्सव जैसा माहौल देखने को मिल रहा है। इस बार कांवड़ यात्रा 22 जुलाई से शुरू होकर 2 अगस्त सावन शिवरात्रि तक होगी। सावन शुरू होते हैं भोले के भक्त गंगाजल लेने के लिए हरिद्वार, ऋषिकेश और गंगोत्री जाते हैं और फिर गंगाजल के साथ यात्रा करते हुए अपने क्षेत्र के शिवालय में जाकर शिवलिंग पर अर्पित करते हैं, इसको लेकर भोले के भक्तों में काफी उत्साह देखने को मिलता है। शास्त्रों में कांवड़ यात्रा को लेकर कुछ नियम भी बनाए गए हैं और ये नियम काफी कड़े होते हैं, जिनका पालन करना जरूरी होता है। बिना नियम पालन के कांवड़ यात्रा अधूरी मानी जाती है। आइए जानते हैं कावंड़ यात्रा का महत्व और क्या हैं नियम...
पुराणों व शास्त्रों में बताया गया है कि कांवड़ यात्रा करने से भगवान शिव बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं और अपने भक्त की सभी मनोकामनाओं को पूरा करते हैं। शिव के भक्त बांस की लकड़ी पर दोनों ओर की टोकरियों में गंगाजल भरकर पैदल यात्रा करते हैं और रास्ते भर बम बम भोले का जयकारा लगाते हैं। यात्रा करने से व्यक्ति के जीवन में सरलता आती है और उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। कांवड़ यात्रा करने से व्यक्ति जन्म मरण के बंधन से मुक्त हो जाता है और शिवधाम को प्राप्त होता है। साथ ही अश्वमेघ यज्ञ के समान फल मिलता है और परिवार में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
कांवड़ यात्रा के समय मन, कर्म और वचन शुद्ध होना चाहिए, शराब, पान, गुटखा, तंबाकू, सिगरेट के सेवन से दूर रहना होता हैं।
एक बार कांवड़ उठाने के बाद उसे रास्ते में कहीं भी जमीन पर नहीं रखा जाता है, ऐसा करने पर कांवड़ यात्रा अधूरी मानी जाती है, ऐसे में कांवड़िए को फिर से कांवड़ में पवित्र जल भरना होता है।
कांवड़ यात्रा के समय कांवड़ियों से चमड़ा स्पर्श नहीं होना चाहिए और न ही कांवड़ को किसी के ऊपर से ले जाना चाहिए
शौच आदि करने के बाद स्नान के बाद ही कांवड़ को दोबारा उठाया जाता है। बिना स्नान के कांवड़ को स्पर्श करना शुभ नहीं माना जाता।
इस दौरान कावड़ यात्रा कर रहे व्यक्ति के परिवार के लोग भी सभी नियमों का पालन करते हैं।
भगवान शिव के प्रिय माह सावन की शुरुआत हो चुकी है और चारों तरफ बम बम भोले के जयाकारे लगाए जा रहे हैं। इस बार सावन में पांच सोमवार पड़ रहा है। सावन मास की शुरुआत 22 जुलाई दिन सोमवार से हो रही है और सावन मास का समापन 19 अगस्त दिन सोमवार को होगा। सावन में शिव भक्तों को पांच सोमवार और विशेष योग का लाभ मिलेगा। सावन मास का हर दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना करने से भक्तों को सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है। सावन मास में रुद्राभिषेक करने के लिए शिववास देखने की आवश्यकता नहीं होती है। इस महीने में किसी भी दिन बिना तिथि और मुहूर्त देखे रुद्राभिषेक किया जा सकता है। सावन मास के दौरान कुबेर योग, शश योग, गजकेसरी योग, बुधादित्य योग, शुक्रादित्य योग और नवम पंचम योग का भी संयोग बन रहा है।
सावन सोमवार तारीख
22 जुलाई सावन का पहला सोमवार
29 जुलाई सावन का दूसरा सोमवार
5 अगस्त सावन का तीसरा सोमवार
12 अगस्त सावन का चौथा सोमवार
19 अगस्त सावन का पांचवां सोमवार