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थाची घाटी में किस किस के सेव तैयार हो चुके हैं मंडी ले जाने के लिए।Chandigarh Pinjore
29/07/2025

थाची घाटी में किस किस के सेव तैयार हो चुके हैं मंडी ले जाने के लिए।
Chandigarh Pinjore

09/10/2024

सरकार द्वारा प्राप्त आदेश , कि सभी विद्युत उपभोक्ता के बिजली मीटर आधार कार्ड से जोड़ें जाए, इसी की अनुपालन हेतु ग्राम पंचायत थाची की समस्त जनता को सूचित किया जाता है कि 9 तारीख को अपना आधार कार्ड और बिजली का बिल ले कर बिजली ऑफिस नालागढ़ आ जाएं

सहायक अभियंता विद्युत विभाग बालीचौकी

Congratulations 🎉 🎉 🎉 सराज घाटी के थाची हल्के के सेरी गाँव से सबंध रखने वाले भाई चित्र सिंह को Paragliding  विश्व प्रि W...
30/08/2024

Congratulations 🎉 🎉 🎉
सराज घाटी के थाची हल्के के सेरी गाँव से सबंध रखने वाले भाई चित्र सिंह को Paragliding विश्व प्रि World Cup लदाख में विश्व में दुसरा स्थान और भारत में पहला स्थान रहा है। इस उपलब्धि के लिए भाई चित्र सिंह को ढेर सारी बधाई एवं शुभकामनाएं ।भविष्य में सराज क्षेत्र में पर्यटन में ऐजवेंचर
क्षेत्र में प्रगति करने के लिए आपसे अपेक्षा रहेगी।
एक बार पुनः शुभकामनाएं जी।



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यूनिवर्सल कार्टन का उपयोग इस साल शुरू हो रहा है, जो सेब और अन्य फलों के परिवहन और भंडारण में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता ह...
27/06/2024

यूनिवर्सल कार्टन का उपयोग इस साल शुरू हो रहा है, जो सेब और अन्य फलों के परिवहन और भंडारण में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है। यह कार्टन इस प्रकार डिजाइन किया गया है कि इसमें फलों को इस तरह से रखा जाता है कि वे दागी न हों और उनका वजन समान रहे। पहले के पारंपरिक कार्टन डबल पैक कार्टन कहा जाता था, दो गत्तों का उपयोग होता था जिन्हें ऊपर-नीचे किया जा सकता था। इसमें फलों की संख्या बढ़ाने के लिए उन्हें एक-दूसरे के सटकर रखा जाता था, जिससे फलों की सेल्फ लाइफ कम हो जाती थी और वे जल्दी पकने लगते थे। अधिक वजन और अत्यधिक टचिंग के कारण फलों में घाव बनने शुरू हो जाते थे, जिससे उनकी गुणवत्ता प्रभावित होती थी।
यूनिवर्सल कार्टन में यह समस्याएँ नहीं होंगी। इसमें फलों की सेल्फ लाइफ बढ़ जाएगी, वजन कम होगा, और एक निर्धारित माप-तोल के अनुसार पेटियाँ होंगी। इससे उच्च या निम्न ग्रेडिंग का बहाना लगाकर फलों की कीमत घटाने की समस्या भी नहीं रहेगी। यूनिवर्सल कार्टन में सभी सेब समान वजन और गुणवत्ता के हिसाब से वितरित होंगे, जिससे किसानों को उनके उत्पाद का उचित मूल्य मिलेगा।
कई वर्षों के बाद, यूनिवर्सल कार्टन का फैसला लिया गया है, जो किसानों और व्यापारियों दोनों के लिए लाभकारी साबित होगा। इससे न केवल फलों की गुणवत्ता बनी रहेगी, बल्कि उनके भंडारण और परिवहन में भी सुधार होगा। यह कदम कृषि क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण प्रगति है और इससे सभी पक्षों को लाभ होगा।

जल्दी ही आप देख सकते हैं कुल्लू से मनाली हाईवे  के मंडी ज़िला में  नगर निगम मंडी बैहना से विंद्रवाणी पर यह जो टनल है यह ...
26/06/2024

जल्दी ही आप देख सकते हैं कुल्लू से मनाली हाईवे के मंडी ज़िला में नगर निगम मंडी बैहना से विंद्रवाणी पर यह जो टनल है यह तयार होकर बन चुकी है जल्दी जल्दी यह आम पब्लिक के लिए खोल दी जाएगी अगले महीने से इसकी शुरुआत हो सकती है फिर सीधे आपको मंडी में ट्रैफिक जाम से निजात मिल जाएगी आप बाईपास होकर निकल सकते हैं इससे आपका आधे घंटे का समय बचेगा जय हिंद

महत्वपूर्ण सूचना: बरसात के मौसम में रासायनिक खाद का इस्तेमालअगर बारिश हो रही है, तो कुछ समय के लिए खाद डालने से बचें। पा...
21/06/2024

महत्वपूर्ण सूचना: बरसात के मौसम में रासायनिक खाद का इस्तेमाल

अगर बारिश हो रही है, तो कुछ समय के लिए खाद डालने से बचें। पानी की कमी वाले पौधे, खासकर जब नाइट्रोजन आधारित सिंथेटिक खाद जैसे कि यूरिया या कैल्शियम नाइट्रेट का इस्तेमाल किया जाता है, तो वे अत्यधिक पोषक तत्वों के अवशोषण से पीड़ित हो सकते हैं, जिससे संभावित नुकसान हो सकता है।

इंतजार क्यों करें?
- पानी की कमी: बारिश के कारण जलभराव हो सकता है, जिससे जड़ क्षेत्र में ऑक्सीजन की कमी हो सकती है और पौधों पर तनाव बढ़ सकता है।
- पोषक तत्वों का रिसाव: बारिश उर्वरकों को पौधों द्वारा अवशोषित करने से पहले ही बहा सकती है, जिसके परिणामस्वरूप पोषक तत्वों की बर्बादी और पर्यावरण प्रदूषण होता है।
- पौधों की लालसा: पानी की कमी के दौरान अत्यधिक नाइट्रोजन अवशोषण से तेजी से, अस्वस्थ विकास हो सकता है, जिससे पौधे कीटों और बीमारियों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं।

सिफारिशें:
1. मिट्टी की नमी की निगरानी करें:उर्वरक डालने से पहले सुनिश्चित करें कि मिट्टी में पर्याप्त जल निकासी हो।
2. शुष्क परिस्थितियों का इंतज़ार करें: जलभराव से बचने और प्रभावी पोषक तत्वों को अवशोषित करने के लिए मिट्टी को सूखने दें।

3. जैविक विकल्पों का उपयोग करें:ऐसे जैविक उर्वरकों पर विचार करें जो पोषक तत्वों को धीरे-धीरे छोड़ते हैं और पोषक तत्वों के जलने की संभावना कम होती है।

पौधों के स्वास्थ्य को बनाए रखने और पोषक तत्वों से संबंधित समस्याओं को रोकने के लिए उर्वरकों का उचित समय और उपयोग महत्वपूर्ण है।

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उमा राणा स्पूत्री श्री रेत राम राणा निवासी गांव डाबणू ग्राम पंचायत व उप तहसील थाची जिला मण्डी हि० प्र०। को ministry of d...
07/06/2024

उमा राणा स्पूत्री श्री रेत राम राणा निवासी गांव डाबणू ग्राम पंचायत व उप तहसील थाची जिला मण्डी हि० प्र०। को ministry of defence में GCI (बतौर सुबेदार) पद पर नियुक्त होने पर बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं।

नमस्कारजैसा कि आप सभी को विदित है कि हमारे क्षेत्र में एक महाविद्यालय (थाची)सुचारू रूप से चला हुआ है और यह समूचे क्षेत्र...
06/03/2024

नमस्कार

जैसा कि आप सभी को विदित है कि हमारे क्षेत्र में एक महाविद्यालय (थाची)सुचारू रूप से चला हुआ है और यह समूचे क्षेत्र के लिए गौरव की बात है । मित्रों आज यह बात बताते हुए काफी दुख हो रहा कि थाची महाविद्यालय बन्द होने की कगार पर खड़ा है। इसके बन्द होने की बजह कुछ और नहीं बल्कि महाविद्यालय में छात्रों की संख्या कम होने के कारण है। यदि आये दिन यह महाविद्यालय बन्द होता है तो हम सभी इसका विरोध भी नहीं कर सकते। क्योंकि इसकी बन्द होने की बजह कोई राजनीतिक द्वेष नहीं होगी बल्कि आम लोग इसकी बजह होगी।।महाविद्यालय में सभी विषयों के प्राध्यापक है फिर भी क्षेत्र के लोग अपने बच्चों को यहां नहीं पढ़ा रहे है। ऐसी स्थिति में हम सब को इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है।आने वाले दिनों में महाविद्यालय में छात्रों की एडमिशन होनी है आप सभी से विनती है की अपने बच्चों को स्थानीय महाविद्यालय में पढाएं और अन्य लोगों को भी इस और जागरूक करवाएं।
कृपया दलगत राजनीति से ऊपर उठकर इस ओर सभी लोग ध्यान दें।

महाविद्यालय में कुल प्रध्यापक -7
महाविद्यालय में कुल छात्र 60 से भी कम है जो कि चिंता का विषय है। महाविद्यालय में लगभग 65 से ऊपर छात्र होना जरूरी है।
कृपया क्षेत्र के लोगों के साथ यह बात जरूर शेयर करें।

धन्यवाद 🙏

इतिहासकार अर्नाल्ड जे टायनबी ने कहा था कि, विश्व के इतिहास में अगर किसी देश के इतिहास के साथ सर्वाधिक छेड़ छाड़ की गयी ह...
19/02/2024

इतिहासकार अर्नाल्ड जे टायनबी ने कहा था कि, विश्व के इतिहास में अगर किसी देश के इतिहास के साथ सर्वाधिक छेड़ छाड़ की गयी है, तो वह भारत का इतिहास ही है।

भारतीय इतिहास का प्रारम्भ तथाकथित रूप से सिन्धु घाटी की सभ्यता से होता है, इसे हड़प्पा कालीन सभ्यता या सारस्वत सभ्यता भी कहा जाता है। बताया जाता है, कि वर्तमान सिन्धु नदी के तटों पर 3500 BC (ईसा पूर्व) में एक विशाल नगरीय सभ्यता विद्यमान थी। मोहनजोदारो, हड़प्पा, कालीबंगा, लोथल आदि इस सभ्यता के नगर थे।

पहले इस सभ्यता का विस्तार सिंध, पंजाब, राजस्थान और गुजरात आदि बताया जाता था, किन्तु अब इसका विस्तार समूचा भारत, तमिलनाडु से वैशाली बिहार तक, आज का पूरा पाकिस्तान एवं अफगानिस्तान तथा (पारस) ईरान का हिस्सा तक पाया जाता है। अब इसका समय 7000 BC से भी प्राचीन पाया गया है।

इस प्राचीन सभ्यता की सीलों, टेबलेट्स और बर्तनों पर जो लिखावट पाई जाती है उसे सिन्धु घाटी की लिपि कहा जाता है। इतिहासकारों का दावा है, कि यह लिपि अभी तक अज्ञात है, और पढ़ी नहीं जा सकी। जबकि सिन्धु घाटी की लिपि से समकक्ष और तथाकथित प्राचीन सभी लिपियां जैसे इजिप्ट, चीनी, फोनेशियाई, आर्मेनिक, सुमेरियाई, मेसोपोटामियाई आदि सब पढ़ ली गयी हैं।

आजकल कम्प्यूटरों की सहायता से अक्षरों की आवृत्ति का विश्लेषण कर मार्कोव विधि से प्राचीन भाषा को पढना सरल हो गया है।

सिन्धु घाटी की लिपि को जानबूझ कर नहीं पढ़ा गया और न ही इसको पढने के सार्थक प्रयास किये गए। भारतीय इतिहास अनुसन्धान परिषद (Indian Council of Historical Research) जिस पर पहले अंग्रेजो और फिर नकारात्मकता से ग्रस्त स्वयं सिद्ध इतिहासकारों का कब्ज़ा रहा, ने सिन्धु घाटी की लिपि को पढने की कोई भी विशेष योजना नहीं चलायी।

क्या था सिन्धु घाटी की लिपि में? अंग्रेज और स्वयं सिद्ध इतिहासकार क्यों नहीं चाहते थे, कि सिन्धु घाटी की लिपि को पढ़ा जाए?

अंग्रेज और स्वयं सिद्ध इतिहासकारों की नज़रों में सिन्धु घाटी की लिपि को पढने में निम्नलिखित खतरे थे...

1. सिन्धु घाटी की लिपि को पढने के बाद उसकी प्राचीनता और अधिक पुरानी सिद्ध हो जायेगी। इजिप्ट, चीनी, रोमन, ग्रीक, आर्मेनिक, सुमेरियाई, मेसोपोटामियाई से भी पुरानी. जिससे पता चलेगा, कि यह विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यता है। भारत का महत्व बढेगा जो अंग्रेज और उन इतिहासकारों को बर्द

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11/08/2023

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