20/06/2025
✊ वीर नारायण सिंह – छत्तीसगढ़ के पहले स्वतंत्रता संग्राम सेनानी
वीर नारायण सिंह न केवल छत्तीसगढ़ के पहले स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे, बल्कि वे एक सच्चे देशभक्त, गरीबों के मसीहा और जनता के नायक भी थे। उन्होंने उस समय आवाज़ उठाई जब देश अंग्रेजों की गुलामी में जकड़ा हुआ था और आम जनता भूख, शोषण और अन्याय का सामना कर रही थी।
सन् 1856-57 के दौरान जब पूरे देश में विद्रोह की चिंगारी सुलग रही थी, तब छत्तीसगढ़ में वीर नारायण सिंह ने अंग्रेजों के खिलाफ बिगुल बजाया। उन्होंने गरीबों के लिए अनाज लूटकर बंटवाया, जिससे अंग्रेजी सत्ता बौखला गई। जब उन्हें गिरफ़्तार कर रायपुर जेल में बंद किया गया, तो उन्होंने जेल से फरार होकर फिर से विद्रोह छेड़ दिया और अपने छोटे से दल के साथ अंग्रेजों से लोहा लिया।
लेकिन अंग्रेजी सेना की ताक़त और विश्वासघात के चलते उन्हें फिर से गिरफ्तार कर लिया गया। और अंततः 10 दिसंबर 1857 को रायपुर के 'जय स्तम्भ चौक' पर फांसी दे दी गई।
यह वही स्थान है जहाँ आज भी उनका स्मारक – जय स्तम्भ – उनकी वीरता और बलिदान की अमर गाथा सुनाता है।
उनका बलिदान छत्तीसगढ़ ही नहीं, भारत के इतिहास में स्वतंत्रता संग्राम की पहली चिंगारी के रूप में दर्ज है।
छत्तीसगढ़ की शान और बलिदान की प्रतिमूर्ति वीर नारायण सिंह के सम्मान में, रायपुर में बने अंतरराष्ट्रीय स्तर के क्रिकेट स्टेडियम का नाम भी "शहीद वीर नारायण सिंह इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम" रखा गया है।
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