Kala Amb War Memorial, Panipat, Haryana

Kala Amb War Memorial, Panipat, Haryana The Third Battle of Panipat took place on Panitpat
https://en.wikipedia.org/wiki/Third_Battle_of_Panipat

विज्ञान कहता है कि पेड़ पौधों में भी जान होता है। लेकिन अक्सर हम इस बात की अनदेखी कर देते हैं। हम कह देते हैं पेड़ पौधों में खून नहीं होता है इसलिए वह निर्जीव है।
जब मर्जी होती है पेड़ की टहनी तोड़ देते हैं। अकारण ही धारदार हथियार से वार कर देते हैं। लेकिन एक पेड़ ऐसा था जिसे काटने पर खून की धारा बहने लगती थी। अब यह पेड़ सूख चुका है और इसकी लकड़ियों से बनाया गया दरवाजा संग्रहालय में इस बात की सच्

चाई को बयां कर रहा है।

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आप चाहें तो पानीपत के संग्रहालय में जाकर इस दरवाजे को देख सकते हैं। पेड़ से खून की धारा निकलने के पीछे जो घटना बताई जाती है उसके अनुसार पानीपत की तीसरी ल़ड़ाई 1761 में हुई थी। इस युद्घ में मराठों और अहमदशाह अब्दाली के बीच भयंकर युद्घ हुआ।

माना जाता है कि युद्घ में करीब सत्तर हजार सैनकों की मौत हुई और मराठे बुरी तरह हारे थे। कहते हैं कि सैनकों के खून से यहां की धरती लाल हो गयी थी। जहां यह युद्घ हुआ था वहां एक आम का पेड़ हुआ करता था।

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युद्घ के बाद अजीब सी घटना हुई। पेड़ को काटने पर लाल रंग का पानी निकलने लगता, देखने में यह खून जैसा लगता था। धीरे-धीरे यह पेड़ सूखता चला गया। माना जाता है कि पेड़ ने धरती से खून को अवशोषित कर लिया जिससे इसे काटने पर खून निकलने लगता था।

पेड़ के सूख जाने पर कवि पंडित सुगन चंद ने इसे खरीद लिया। इसकी लकड़ियों से दरवाजे बनाए गए। बाद में यह दरवाजा पानीपत म्यूजियम में लाकर रखा गया। जिस स्थान पर यह पेड़ हुआ करता था वह स्थान आज काला अंब के नाम से जाना जाता है।

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05/06/2025

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हरियाणा में मराठा समाज से एकमात्र विधायक हरविंद्र कल्याण के स्पीकर चुने जाने पर छत्रपति शिवाजी महाराज विश्व परिषद द्वारा हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं।

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10/08/2024

भारतीय रेसलर अमन सहरावत ने पेरिस ओलंपिक के 'मेंस फ्रीस्टाइल 57KG इवेंट' में ब्रॉन्ज मेडल🥉 जीता है.

अपनी इस उपलब्धि से अमन ने देश का नाम ऊंचा किया है.

अमन को ढेर सारी बधाई और शुभकामनाएं.

जय हिंद🇮🇳

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09/08/2024

हिंदुस्तान की आज़ादी के बाद व्यक्तिगत एथलेटिक में लगातार दूसरा ओलंपिक पदक अपने नाम करने वाले युग पुरुष भाई नीरज चोपड़ा को बहुत बहुत बधाइयाँ💐

में भारत का पहला सिल्वर पदक जीतने वाले "गोल्डन बॉय" Neeraj Chopra आप पर हमें गर्व है🇮🇳


ये साल 1680 था जब औरंगजेब को पता चला कि छत्रपति शिवाजी महाराज का देहांत हो गया है। तो वो दक्षिण जीतने की इच्छा लिए आगरा ...
21/07/2024

ये साल 1680 था जब औरंगजेब को पता चला कि छत्रपति शिवाजी महाराज का देहांत हो गया है। तो वो दक्षिण जीतने की इच्छा लिए आगरा से उठकर औरंगाबाद पहुंच गया। औरंगजेब को एक दिन निजामशाही और दो दिन आदिलशाही को खत्म करने में लगे लेकिन सामना होना था 23 साल के नए छत्रपति संभाजी से। इस समय औरंगजेब दुनिया का सबसे ताकतवर राजा था। वो ना सिर्फ विश्व के सबसे बड़ा भू-भाग पर राज कर रहा था उसके पास विश्व की सबसे बड़ी पांच लाख की सेना थी।

अगले 9 सालों में संभाजी ने पुर्तगालियों के खिलाफ 15 और मुगलों के खिलाफ 69 छोटे-बड़े युद्ध जीते। मराठा साम्राज्य की जो सीमा उनके पिता छोड़ कर गए थे वो उससे कई गुना बढ़ाकर आगे ले गए। गुजरात से लेकर गोवा तक भगवा फहर रहा था। साल 1689 में सगे साले की गद्दारी के चलते छत्रपति अपनी पत्नी और बच्चे समेत बंधक बनाए गए। उन्हें जोकर के कपड़े पहनाकर परेड कराते हुए मुगल खेमे में लाया गया। औरंगजेब ने जिंदा रहने का दो रास्ते दिए पहला पूरा मराठा साम्राज्य मुगलों को सौंप दिया जाए या इस्लाम स्वीकार कर लिया जाए। बंधक बने संभाजी का जवाब था अगर औरंगजेब अपनी बेटी की निकाह भी मुझसे करा दे तो भी इस्लाम स्वीकार नहीं करूंगा।

इसके बाद शुरू हुआ टॉर्चर पहली दिन उनकी आंखें फोड़ी गई, इसके बाद उनकी जीभ काटी गई, फिर खाल उतारी गई अंत में उनकी टुकड़े करके कुत्तों को खिला दिए गए। औरंगजेब इसके बाद करीब 20 साल मराठों का खत्म करने का सपना लिए औरंगाबाद पड़ा रहा वो तो हिन्दू पदपादशाही समाप्त नहीं कर पाया हां उसके मरने के 40 साल बाद पेशवाओं ने जरूर मुगल बादशाहों को पेंशन पर रखा और उनकी रक्षा की। मराठों एवं अंग्रेजों में 1684 में जो समझौता हुआ, उसमें छत्रपति संभाजी महाराज ने एक ऐसी शर्त रखी थी कि अंग्रेजों को मेरे राज्य में दास (ग़ुलाम) बनाने अथवा ईसाई धर्म में दीक्षित करने हेतु लोगों का क्रय करने की अनुज्ञा नहीं मिलेगी

देश धरम पर मिटने वाला शेर शिवा का छावा था।
महा पराक्रमी परम प्रतापी एक ही शंभू राजा था।।
तेजपुंज तेजस्वी आंखें निकल गयीं पर झुका नहीं।
दृष्टि गयी पर राष्ट्रोन्नति का दिव्य स्वप्न तो मिटा नहीं।।
दोनों पैर कटे शंभू के ध्येय मार्ग से हटा नहीं।
हाथ कटे तो क्या हुआ सत्कर्म कभी तो छूटा नहीं।।
जिह्वा कटी खून बहाया धरम का सौदा किया नहीं।
वर्ष तीन सौ बीत गये अब शंभू के बलिदान को।
❣️🙏❤️🔥

स्वर्गाहुन सुदंर असा आपुला ‘रायगड’ #मराठी #मराठा #राष्ट्र #महाराष्ट्र              🚩
21/07/2024

स्वर्गाहुन सुदंर असा आपुला ‘रायगड’

#मराठी
#मराठा
#राष्ट्र
#महाराष्ट्र
















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छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा आगरा की कैद से बच के निकल जाने पर औरंगज़ेब को बड़ा मलाल रहा। जीवन के आखिरी वक्त में औरंगज़ेब न...
19/07/2024

छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा आगरा की कैद से बच के निकल जाने पर औरंगज़ेब को बड़ा मलाल रहा। जीवन के आखिरी वक्त में औरंगज़ेब ने अपने वसीयतनामे में लिखा था कि

"राजकाज ढंग से चलाना हो तो वतन में होने वाले हर एक बड़े वाकिये की ख़बर रखना जरूरी होता है, वरना एक वक़्त की लापरवाही से बहुत दिनों तक शर्म झेलनी पड़ती है। वह शिवाजी हमारे नौकरों की लापरवाही से भाग निकला और उसके लिए हमको ज़िंदगी के आख़िर तक तकलीफ़ों वाली लड़ाइयों में उलझे रहना पड़ा।"
#रोचक_तथ्य

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