17/03/2025
* यह इक्कीसवीं वीं सदी का टोल है या सोलहवीं शताब्दी का जजिया कर *
जी हाँ हमारी वर्तमान सरकार चाहे वो दिल्ली में बैठी हो या देहरादून में दोनों औरंगजेब व उसके जजिया कर की भर्त्सना तो करते है लेकिन उत्तराखंड राजधानी देहरादून में स्थित लछीवाला टोल प्लाजा में वसूल किया जा रहा पथ कर जजिया कर से कम नहीं है उस को भूल जाते हैं , आज भी पहाड़ों में उत्तराखंड देहरादून राजधानी ऋषिकेश, नरेंद्र नगर, टिहरी से लगते हुए प्रताप नगर, घनशाली, उत्तरकाशी देवप्रयाग चमोली श्रीनगर, पौड़ी नंदप्रयाग, कर्णप्रयाग , गोपेश्वर, जोशीमठ और इन सभी क्षेत्र से जुड़े आसपास के ग्रामीण इलाके के निवासियों को अपने जरूरी काम अपने बच्चों की शिक्षा और इलाज इत्यादि के लिए देहरादून भागना पड़ता है हमारे पहाड़ के होनहार नेता जनप्रीनिधि वह भी रिमोट कंट्रोल से देहरादून से ही पूरे पहाड़ को अब ड्रोन वह आई तकनीक से लेस उपकरण से देहरादून से ही अपने क्षेत्र को कंट्रोल करते हैं उनको मिलने के लिए भी अक्सर आम आदमी को देहरादून के चक्कर मारने करने पड़ते हैं , पर उत्तराखंड की ऋषिकेश व पूरे गढ़वाल क्षेत्र व कुमांऊ के बागेश्वर से आने वाले वाहनों उत्तराखंड के आम आदमियों की सपनों की राजधानी देहरादून में प्रवेश करने से 8 किलोमीटर पहले ही यहां पर टोल के नाम पर आम आदमी को भारी भरकम टोल से रूबरू होना पड़ता है जो की जजिया कर से किसी भी तरह कम नहीं आंका जा सकता और यह पथकर अलग- अलग वाहनों के लिए अलग श्रेणी के अनुसार अलग-अलग हैं, यदि ऋषिकेश व नरेन्द्रनगर से लच्छी वाला टोल पलाज़ा की दुरी मात्र 24 व 25 किमी है और इसके बीच में लगभग 11 से 12 किमी का आरक्षित वन क्षेत्र भी है जिस कारण आम आदमी को एक किमी के अनुपात में लगभग पांच से छ: रुपया पथकर देना पड़ रहा है जो की 155 रूपये से शरू होकर विभिन्न श्रेणियो के लिए अलग-अलग हैं, जिस कारण उत्तराखंड के समस्त गढवाल क्षेत्र व कुमांऊ के बागेश्वर क्षेत्र की हर वस्तु पर और हर व्यक्ति पर इसका प्रभाव पड़ता है और इस भारी भरकम टोल के कारण उपरोक्त क्षेत्रो में महंगाई भी टोल की बढ़ती दरो के अनुसार बढती ही जा रही है, परंतु हमारे उत्तराखंड की सरकार नेशनल हाईवे के प्रावधान और नेशनल हाईवे की खुली नीति के आगे मजबूर है, अक्सर इस टोल प्लाजा पर देखा जाता है कि राजनीतिक पहचान एवं अधिकतर ऊँची सिफारिश वाले जो टोल माफ की श्रेणी में नहीं आते, और भारतीय किसान यूनियन जैसे संगठन के सदस्य फिर वह चाहे देश के किसी भी कोने से क्यों ना आ रहा हो यह लोग टोल मांगने की हिम्मत ही नहीं जुटा पाते और आम आदमी के साथ में टोल प्लाजा में कैसा सलूक होता है वह तो जग जाहिर है,उत्तराखंड राज्य के देहरादून को छोड़कर यदि हम ऋषिकेश और और इसके आसपास के पहाड़ी क्षेत्र और दूरदराज के पहाड़ी क्षेत्र पर नजर डाले अभी तक मूलभूत सुविधाओं के नाम पर स्थिति आज भी वेसी है जैसे आज से 25 वर्ष पहले थी, जिसके लिए यहां पर प्रमाण देने की आवश्यकता नहीं है, जिसकी स्थिति समय- समय पर राष्ट्रीय पत्रों, शोशल मीडिया में प्रकाशित होती रहती हैं , कॉलेज, चिकित्सा अन्य कार्यो के लिए उपरोक्त क्षेत्र के निवासियों को देहरादून के के आए दिन चक्कर लगाना कोई नई बात नहीं है, उपरोक्त क्षेत्रो में मूलभूत सुविधाओं की भयंकर कमी के कारण ही हमारे जनप्रतिनिधियो , अधिकारियों जो की वर्तमान है, और पूर्व में जनप्रतिनिधि, अधिकारी के पद पर रह चुके है, देहरादून में पलायन कर चुके है, अन्य मैदानी राज्यों की तरह यहां पर सड़को का जाल नहीं बिछा है, और ना ही रोजगार के अवसर हैं, मैदानी राज्यों में जहाँ हर लगभग जहाँ हर 30 किमी पर महानगर स्थित है परन्तु उत्तराखंड में 300 किलोमीटर के दायरे में एकमात्र देहरादून शहर है जहां पर चिकित्सा और उच्च शिक्षा और अन्य तरह की सुविधाओं एवं अन्य सरकारी कार्यो के लिए मजबूरन आम आदमी को दूर दराज इलाकों से आकर देहरादून भटकना पड़ता है परंतु अपने सपनों की राजधानी में आने के लिए पहले भारी भरकम पथकर देना पड़ता है और इस पथकर के नेशनल हाईवे हरिद्वार देहरादून हाईवे की स्थिति ऐसी की कुआं वाला क्षेत्र के पास कई जगह पर 1 किलोमीटर के पास दिए गए हैं एक जगह पर तो निजी पेट्रोल पंप के की सुविधा के लिए क्रैश बैरियर तक हटा दिए गए हैं कई जगह पर तो आपको गलत दिशा से तेजी आते हुए वाहन दिखाई दे जाएंगे जिससे यहां पर कई बार भयंकर दुर्घटनाएं भी हो चुकी है फिर भी विशेषकर कुआं वाला क्षेत्र पर एवं कही पर भी आपको हाई डेफिनेशन कैमरे नहीं लगाये गए हैं , भारी भरकम टोल लगने के बावजूद नेशनल हाईवे के के अनुरूप हाईवे का कोई मेंटेनेंस नहीं किया गया है इस भारी भरकम टोल को देने के बाद आम आदमी को मोहकमपुर के पास टोल रोड़ समाप्त हो जाने पर रिस्पना पुल तक व आई.एस.बी टी देहरादून जाम से जूझना पड़ता है, और विधानसभा सत्र के दौरान स्थिति और बदतर हो जाती है लेकिन हूटर लगी हुई वाहनों वी.आई.पी श्रेणी के वाहनो को इन सब समस्या से रूबरू नही होना पड़ता है क्योकि इन समस्याओ जूझना टोल चुकता करने वाले का कर्तव्य है । हमारे उत्तराखंड के जनप्रतिनिधि जो अक्सर इस रोड पर सफर भी करते रहते होंगे वे कब इस समस्या पर गौर फरमाएगे आज आम जनता को पथकर कर के नाम पर जो भारी भरकम टोल वसूला जा रहा है यह जजिया जजिया कर से काम नहीं है जिसने ऋषिकेश व उत्तराखंड के समस्त गढवाल क्षेत्र व कुमांऊ के बागेश्वर क्षेत्र से देहरादून की ओर विभिन्न कार्यो के लिए आने जाने वाले आम आदमी की आर्थिक कमर तोड़ कर रख दी है ।