22/09/2024
🚩 जय श्रीराम 🚩
जूना अखाड़ा डासना पीठ के मंडलेश्वर और अखिल भारतीय संत परिषद् अध्यक्ष परमपूज्य यति नरसिन्हानंद सरस्वती के निर्देशन में संतों के अलग - समूह इस समय भारत के सभी प्रांतों में प्रवास पर हैं । इसी कड़ी में यति रामस्वरूपानंद जी , यति नरसिन्हानंद गिरी जी और यति निर्भयानंद जी देवभूमि उत्तराखंड के प्रवास पर हैं । विगत कल हिंदू रक्षा दल को संतों का सानिध्य और मार्गदर्शन प्राप्त हुआ ।
हमारे में संभवतः बहुत सारे लोगों को ज्ञात न हो डासना पीठ कट्टर इस्लामी आतंकवाद को खुली चुनौती देते है और हार्ड लाइन लेते हुए इस्लाम से सीधे संघर्ष को प्रेरित करते हैं । इसी वजह से जेहादियों द्वारा उनपर हमला भी किया गया और सिर तन जुदा करने पर इनाम की भी घोषणा की गई थी । लेकिन वे अपने मार्ग से डिगे नहीं । सनाननियो के लिए आने वाले कठिन समय की कल्पना आपने आज से अट्ठाईस वर्ष पहले ही कर ली थी । उस समय शायद लोग नहीं समझ सके पर आज सभी लोग उनकी दूरदर्शिता को समझ पा रहे हैं ।
साथियों इस्लाम को हम कुएं के मेढक से तुलना कर सकते हैं । इस्लामिक विचारधारा का दृष्टिकोण संकुचित और संकीर्ण है । ये कुएं से बाहर एक बहुत बड़ी दुनिया है इस पर यकीन ही नहीं करते । इनका दायरा आसमानी किताब तक सीमित है ।
समाज शास्त्रीय दृष्टिकोण से हमारा स्व (ego) का विकास कैसे होता है ? इसमें हमारे शास्त्र ,परंपराएं , मूल्य , संस्कृति , विश्वास ,सामाजिक विचारधारा ,शिक्षा व्यवस्था आदि अनेकों कारक हमारे स्व के विकास के लिए उत्तरदायी होते है ।
इस्लाम के अनुयाइयों का विकास भी कुछ ऐसी परिस्थितियों में होता है कि वह असामाजिक और अवांछित हो जाता है ।
मसलन : अपने को श्रेष्ठ मानना अच्छा है पर मैं ही श्रेष्ठ हूं , असमाजिकता का परिचायक है । अहम एकम द्वितीयो नास्ति। इस्लाम के अलावा हर व्यक्ति काफिर है और काफिरों का कत्ल करना जायज है । असामाजिकता का परिचायक है । जिसकी परवरिश इस दर्शन से होगा वह जेहादी नहीं तो क्या होगा ? सनातन में तो प्राणिमात्र के कल्याण की कामना की जाती है सभी के परमेश्वर का अंश स्वीकार किया जाता है । यथा पिंडे तथा ब्रह्मांडे । सभी प्राणी उसी के अंश है ।पृथ्वी पर जीवन का अधिकार सभी का समान है ।
इनकी अवधारणा है कि अल्लाह ने जमीन सिर्फ मुसलमानों के लिए बनाई है । मतलब पृथ्वी अभी चौदह सौ साल पहले ही बनी है । सनातनी ऋषियों मन्वंतरों पहले वसुधैव कुटुंबकम् की घोषणा कर दी थी । जिनके मनमस्तिष्क में इस प्रकार विषैले जहर घुले हों वह जेहादी ही बनेगा विश्व के कल्याण की बात कैसे सोचेगा ।
मित्रों लेख लंबा हो जा रहा है । संतों के साथ सभा में व्यापक मंथन किया गया और निष्कर्ष निकला कि वर्तमान में इस्लाम विश्व के सभी धर्माब्लांबियो के लिए कॉमन और स्पष्ट शत्रु है ।
विनय न मानत जलधी जड़, गए तीन दिन बीत। बोले राम सकोप तब , भय बिनु होय न प्रीत ।
शठे शठाय समाचरेत।
माह दिसम्बर के द्वितीय पखवाड़े में हरिद्वार में विश्व धर्म सम्मेलन का विराट आयोजन होना है जिसमे विश्व के अनेक देशों से धर्माचार्य जुटेंगे सिवाय इस्लाम के । जिसमे परिस्थितियों पर व्यापक और वैश्विक रणनीति तैयार होगी ।
सनातन के सभी अनुरागी इस कार्यक्रम को सफल बनाने में अपनी प्रतिभागिता करे ।
नगर उपाध्यक्ष सौरव रसतोगी
हिंदू रक्षा दल
उत्तराखंड