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पहाड़ीGlimpse पहाड़ | संस्कृति | यात्रा | पर्यटन

एक झलक पहाड़ की।

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बड़ी खबर: नैनीताल हाईकोर्ट ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव पर रोक लगा दी है। आरक्षण को लेकर स्थिति स्पष्ट न होने के चलते यह फ...
23/06/2025

बड़ी खबर: नैनीताल हाईकोर्ट ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव पर रोक लगा दी है। आरक्षण को लेकर स्थिति स्पष्ट न होने के चलते यह फैसला लिया गया है। राज्य सरकार हाईकोर्ट में आरक्षण संबंधी स्थिति को स्पष्ट नहीं कर पाई।
उत्तराखंड में पंचायत चुनाव को लेकर अधिसूचना जारी की जा चुकी थी, और 25 जून से नामांकन प्रक्रिया शुरू होने की घोषणा की गई थी। इसके साथ ही आचार संहिता भी लागू हो गई थी। लेकिन इन तमाम तैयारियों के बीच हाईकोर्ट ने चुनाव प्रक्रिया पर फिलहाल रोक लगाने का आदेश दिया है।

यह चित्र उत्तराखंड की हरी-भरी वादियों और पारंपरिक जीवनशैली को जीवंत करता है। दो पहाड़ी महिलाएं पारंपरिक वस्त्रों में, बै...
12/06/2025

यह चित्र उत्तराखंड की हरी-भरी वादियों और पारंपरिक जीवनशैली को जीवंत करता है। दो पहाड़ी महिलाएं पारंपरिक वस्त्रों में, बैलों के साथ पतली पहाड़ी पगडंडी पर चल रही हैं। चारों ओर फैली हरियाली, दूर तक फैले बादलों से ढकी बर्फीली चोटियाँ और घुमावदार रास्ते इस जगह की प्राकृतिक सुंदरता को दर्शाते हैं। उत्तराखंड का मौसम हर वक्त ताजगी से भरा होता है—कभी रिमझिम बारिश, तो कभी धूप और बादलों की लुकाछिपी। यहां की हवा में एक सुकून है जो मन को शांत करता है।❤️❤️❤️

यहां की संस्कृति प्रकृति से गहराई से जुड़ी हुई है। महिलाएं आज भी खेतों में मेहनत करती हैं, जंगलों से लकड़ी लाती हैं और दूध देने वाले जानवरों की देखभाल करती हैं। उनके वस्त्र, बोली और जीवनशैली में पहाड़ी आत्मा बसी होती है। यह जीवनशैली कठिन जरूर है, पर इसमें आत्मनिर्भरता और संतोष का भाव झलकता है। पहाड़ों की यही सुंदरता और संस्कृति आज भी लोगों को यहां की ओर खींच लाती है।😊😊

हरियाली से ढकी पहाड़ी ढलानों के बीच, तड़कती धूप में दो पहाड़ी महिलाएं खेतों में झुकी मेहनत कर रही हैं। पारंपरिक कपड़ों म...
07/06/2025

हरियाली से ढकी पहाड़ी ढलानों के बीच, तड़कती धूप में दो पहाड़ी महिलाएं खेतों में झुकी मेहनत कर रही हैं। पारंपरिक कपड़ों में सजी ये महिलाएं, न केवल प्रकृति से गहराई से जुड़ी हैं, बल्कि उत्तराखंड की आत्मनिर्भर संस्कृति की असली पहचान भी हैं। इनकी मेहनत, सादगी और मिट्टी से जुड़ाव पहाड़ की वो ताकत है, जो हर मौसम में मुस्कुराकर हर चुनौती को स्वीकार करती है। सीढ़ीनुमा खेत, चारों ओर फैला देवदार का जंगल, और गर्म धूप में चमकती ये हरियाली — यह नज़ारा पलायन को रोकने और अपनी जड़ों से जुड़े रहने की प्रेरणा देता है।

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पहाड़ों की गोद में पला-बढ़ा यह मक्का अब पूरी तरह से पक चुका है। साफ और शुद्ध हवा, प्राकृतिक जल और बिना रसायन की खेती ने इस...
05/06/2025

पहाड़ों की गोद में पला-बढ़ा यह मक्का अब पूरी तरह से पक चुका है। साफ और शुद्ध हवा, प्राकृतिक जल और बिना रसायन की खेती ने इसे खास स्वाद और पौष्टिकता दी है। पहाड़ की मिट्टी में उगने वाला मक्का न केवल स्थानीय लोगों की आजीविका का साधन है, बल्कि यह हमारी पारंपरिक कृषि संस्कृति का भी प्रतीक है। ऐसे खेतों में मेहनत करने वाले किसान पहाड़ की रीढ़ हैं, जो कठिन हालातों में भी खेती को जिंदा रखे हुए हैं। जब भी हम पहाड़ों की हरियाली और सादगी को देखते हैं, तो ये खेत हमें उस आत्मनिर्भरता की याद दिलाते हैं, जो यहाँ की असली पहचान है।

यह सुंदर चित्र एक पहाड़ी महिला की सांस्कृतिक गरिमा और पारंपरिक सौंदर्य को दर्शाता है। माथे पर बिंदी, नथ की झनकार, गले की...
04/06/2025

यह सुंदर चित्र एक पहाड़ी महिला की सांस्कृतिक गरिमा और पारंपरिक सौंदर्य को दर्शाता है। माथे पर बिंदी, नथ की झनकार, गले की मोतियों की मालाएं और कानों के झुमके – हर एक आभूषण हमारी उत्तराखंडी विरासत की पहचान है। सिर पर लाल रूमाल और नीली पहाड़ी पोशाक में यह मुस्कान सिर्फ सौंदर्य नहीं, आत्मविश्वास और संस्कृति का प्रतीक है।

ऐसे चित्र न केवल हमारी जड़ों की याद दिलाते हैं, बल्कि यह भी बताते हैं कि हमारी परंपराएं कितनी जीवंत और गर्व करने योग्य हैं।
“पहाड़ की मुस्कान, संस्कृति की पहचान।” 🌸🏔️

PC--

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🌄 पहाड़ों की गोद में बसा एक सपना... 🏡यह कोई आम घर नहीं, यह हमारी पहाड़ी आत्मा का प्रतीक है।जहाँ सुबह पक्षियों की चहचहाहट...
03/06/2025

🌄 पहाड़ों की गोद में बसा एक सपना... 🏡

यह कोई आम घर नहीं, यह हमारी पहाड़ी आत्मा का प्रतीक है।
जहाँ सुबह पक्षियों की चहचहाहट से होती है, और शामें पहाड़ों की छांव में शांति से ढलती हैं।

🪨 पत्थरों से बनी दीवारें,
🌾 आंगन में सजी सब्ज़ियों की क्यारियाँ,
🐐 गाय-बकरी की रुनझुन,
और 💙 नीला रंग जो आसमान से मेल खाता है...

यह घर केवल रहने की जगह नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति, परंपरा और पहचान का मजबूत स्तंभ है।

👉 क्यों छोड़ें इस सुंदरता को? क्यों करें पलायन?
जब हमारे गांव, हमारे पहाड़, इतनी समृद्धि, सुकून और अपनापन दे सकते हैं...
तो क्यों न यहीं रहकर इसे और बेहतर बनाएं?

🚶‍♂️ पलायन को ना कहें,
🌿 स्थानीय संसाधनों का सदुपयोग करें,
🏡 अपने गांव को स्वावलंबी बनाएं।

पहाड़ों में ही बसती है असली जन्नत।
इन्हें छोड़िए मत, सजाइए, बचाइए। 🌺

PC---
#पहाड़ीजीवन #पलायन_रोकें #हमरापहाड़ #उत्तराखंड #गांवकीओरचलो

चारधाम यात्रा: पहले ही दिन पंजीकरण ने तोड़े रिकॉर्ड, श्रद्धालुओं में जबरदस्त उत्साहचारधाम यात्रा 2025 के लिए पंजीकरण की ...
22/03/2025

चारधाम यात्रा: पहले ही दिन पंजीकरण ने तोड़े रिकॉर्ड, श्रद्धालुओं में जबरदस्त उत्साह

चारधाम यात्रा 2025 के लिए पंजीकरण की शुरुआत 20 मार्च से हो चुकी है, और पहले ही दिन 1.65 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने अपने नाम दर्ज करवा लिए। यह आंकड़ा साफ संकेत देता है कि इस वर्ष तीर्थयात्रियों की संख्या में भारी इजाफा देखने को मिलेगा। इस बार पंजीकरण की प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन रखी गई है, जिसमें आधार कार्ड अनिवार्य दस्तावेज के रूप में मांगा जा रहा है।

सबसे अधिक पंजीकरण केदारनाथ धाम के लिए हुए, जहां 53,570 श्रद्धालुओं ने नाम दर्ज कराया। इसके बाद बदरीनाथ के लिए 49,385, गंगोत्री के लिए 30,933 और यमुनोत्री के लिए 30,224 लोगों ने पंजीकरण कराया। साथ ही हेमकुंड साहिब के लिए भी 1,180 यात्रियों ने रजिस्ट्रेशन करवाया। इन आंकड़ों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस बार श्रद्धालुओं की भीड़ काफी अधिक रहने वाली है।

यात्रियों की सुविधा के लिए पर्यटन विभाग ने "Tourist Care Uttarakhand" नामक मोबाइल ऐप लॉन्च किया है। इस ऐप के माध्यम से न केवल पंजीकरण किया जा सकता है बल्कि यात्रियों की सहायता के लिए 24x7 टोल-फ्री हेल्पलाइन भी उपलब्ध है। वहीं, हेली सेवा की ऑनलाइन बुकिंग अप्रैल के पहले सप्ताह से शुरू होने की उम्मीद है, जिससे यात्रा और भी आसान हो जाएगी।

इस वर्ष चारधाम यात्रा का शुभारंभ 30 अप्रैल को गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट खुलने से होगा। केदारनाथ के कपाट 2 मई और बदरीनाथ के 4 मई को श्रद्धालुओं के दर्शन हेतु खोले जाएंगे। प्रशासन द्वारा यात्रा को सुगम और सुरक्षित बनाने के लिए व्यापक इंतजाम किए गए हैं, जिसमें सुरक्षा बलों, स्वास्थ्य सेवाओं और आपातकालीन रेस्क्यू टीमों की तैनाती प्रमुख है।

होटलों और लॉज की बुकिंग में भी तेजी देखी जा रही है, जिससे स्पष्ट है कि श्रद्धालुओं में इस बार यात्रा को लेकर काफी उत्साह है। पंजीकरण प्रक्रिया को भी पहले की तुलना में सरल बनाया गया है ताकि लोगों को तकनीकी अड़चनों का सामना न करना पड़े।

कुल मिलाकर, चारधाम यात्रा का पहला दिन रिकॉर्ड तोड़ पंजीकरण के साथ संपन्न हुआ, जो उत्तराखंड में धार्मिक पर्यटन के बढ़ते आकर्षण को दर्शाता है। प्रशासन श्रद्धालुओं की सुविधा व सुरक्षा सुनिश्चित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है।

https://pahadiglimpse.com/char-dham-yatra-uttarakhand-html/

सभी धाम मोटर मार्ग द्वारा राज्य की राजधानी देहरादून तथा अन्य प्रमुख स्थानों से अच्छी तरह जुड़े हुए हैं. जहाँ गंगोत्...

हर की दून ट्रेक उत्तरकाशी:हर की दून ट्रेक उत्तराखंड के सबसे खूबसूरत ट्रेक में से एक है। समुद्र तल से लगभग 11700 फ़ीट की ऊ...
22/03/2025

हर की दून ट्रेक उत्तरकाशी:

हर की दून ट्रेक उत्तराखंड के सबसे खूबसूरत ट्रेक में से एक है। समुद्र तल से लगभग 11700 फ़ीट की ऊंचाई पर पड़ने वाला हर की दून ट्रेक उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में पड़ता है। हर की दून ट्रेक गोविन्द बल्लभ पंत राष्ट्रीय उद्यान के अंतर्गत आता है जो कि अपनी विशाल खुली हरी-भरी घाटियों के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है। बर्फ से ढकी चोटियों और अल्पाइन वनस्पतियों से घिरा, हर-की-दून ट्रेक, सबसे खूबसूरत ट्रेकिंग पॉइंट्स में से एक है, जो उत्तराखंड की प्राकृतिक सुंदरता को प्रदर्शित करता है। हर की दून को गर्मियों का ट्रेक माना जाता है।
देहरादून से हर की दून ट्रेक की शुरुआत करने के लगभग 8 दिन बाद ट्रेकर्स वापस देहरादून पहुंचते हैं। यह एक लंबा ट्रेक है जिसमें ट्रेकर्स उत्तरकाशी क्षेत्र की पांच खूबसूरत जगहों सांकरी, तालुका, ओस्ला, हर की दून और जंदहार की खूबसूरती को निहार पाते हैं। ट्रेक एक आसान से मध्यम वर्ग का है।

हर की दून ट्रेक उत्तरकाशी | Har Ki Dun Trek From Dehradun Distance and Travel Guide in Hindi | हर की दून ट्रेक उत्तराखंड के सबसे खूबसूरत ट्रेक में से एक है। स...

छोड़ आये हम 1000 गज मे बनी गाँव की हवेली 100 गज मे बने शहर के मकान को तराक्की समझते है.💔
20/11/2024

छोड़ आये हम 1000 गज मे बनी गाँव की हवेली
100 गज मे बने शहर के मकान को तराक्की समझते है.💔

असोज का महीना, काम और घाम 💞असोज का महीना इतना व्यस्त होता है कि अधिकतम लोग सुबह के अंधेरे में ही काम के लिए निकल जाया कर...
13/10/2024

असोज का महीना, काम और घाम 💞
असोज का महीना इतना व्यस्त होता है कि अधिकतम लोग सुबह के अंधेरे में ही काम के लिए निकल जाया करते हैं और शाम के अंधेरे तक ही घर पहुंच पाते हैं। ज्यादातर घरों में तो दिन के समय लोग भी नहीं हुआ करते क्योंकि सभी काम के लिए खेतों में होते हैं। यह सारा काम असोज के महीने के शुरू होने से महीने के खत्म होने के बाद तक भी चलता ही है। मतलब सितंबर आधे माह के बाद से शुरू होने वाला यह काम लगभग नवंबर माह तक चलता रहता है। नवंबर आधे माह के बाद ही पहाड़ी लोग अपने कामों से निपट पाते हैं।
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