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06/27/2023
12/28/2022

समाप्त होते वर्ष में मेरे मन कर्म और वाणी से यदि किसी को भी ठेस लगी हो तो मैं हृदय क्षमा प्रार्थी हु।🙏🙏
🙏🙏

Good Morning
10/14/2022

Good Morning

🌹🌹 Dhan Nirankar ji🙏🙏 Pls share
10/12/2022

🌹🌹 Dhan Nirankar ji🙏🙏 Pls share

 #विजयादशमी की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं.. ्री_राम 🙏🚩 #विजयादशमी_उत्सव  ्रीराममाँ दुर्गा के आशीर्वाद से आपका जीवन सुखम...
10/05/2022

#विजयादशमी की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं..
्री_राम 🙏🚩
#विजयादशमी_उत्सव
्रीराम
माँ दुर्गा के आशीर्वाद से आपका जीवन सुखमय हो..
आप सभी मित्रो को पावन पर्व दशहरा की हार्दिक शुभकामनाएं 💐
प्रभु श्री राम जी की कृपा आप और आपके पूरे परिवार पर हमेशा बनी रहे.!
जय श्री राम 🙏🚩
॥ जय श्री राम ॥

      बिहार को वंदे भारत ट्रेन की सौगात! 6-8 घंटे कम हो जाएगी पटना से दिल्ली की दूरी, जानिए रूट बिहार के लोगों को भारतीय...
08/27/2022


बिहार को वंदे भारत ट्रेन की सौगात! 6-8 घंटे कम हो जाएगी पटना से दिल्ली की दूरी, जानिए रूट
बिहार के लोगों को भारतीय रेलवे की ओर से बड़ी सौगात मिलने वाली है. बता दे कि इस साल के अंत तक भारतीय रेलवे की ओर से देश के 27 रूटों पर 18 वंदे मातरम ट्रेन चलाने की तैयारी की जा रही है. इस तैयारी के दौरान जिन रूटों का चयन किया गया है उनमें पहले फेज में पटना-काशी-दिल्ली शामिल है. रेलवे के द्वारा चलाये गए इस बंदे मातरम एक्सप्रेस से दिल्ली जाने वाले यात्रियों को काफी सुबिधा मिलेगीं. वैसे यात्री जो दिल्ली जाना चाहते है वे महज सिर्फ बारह घंटो के बदले सिर्फ पांच घंटो में दिल्ली पहुँच जायेंगे.
रेलवे के अधिकारियों का कहना है कि यह ट्रेन उन लोगों को बेहतर विकल्प देगी जो यात्रा के दौरान बेहतर सुविधा चाहते हो. उन्होंने बताया कि इस ट्रेन में लोगों को कई तरह की सुबिधायें दी जाएँगी और साथ ही सभी यात्रियों का काफी समय भी बचेगा. हालांकि अभी तक अधिकारियों के द्वारा ट्रेन के किराये को लेकर कुछ नही कहा गया हैं
जानकारी के अनुसार भारतीय रेलवे की ओर से चलाई जा रही पहली वंदे भारत ट्रने दिल्ली से वाराणसी के बीच चलाई गई. 15 फरवरी 2019 को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा वंदे भारत एक्सप्रेस का उद्घाटन किया गया था. जिसके बाद इस ट्रेन को व्यावसायिक परिचालन के रूप में 17 फरवरी 2019 को शुरू कर दी गयी. वहीं अभी इस ट्रेन का परिचालन दिल्ली और जम्मू के बीच किया जा रहा है. अंबाला रूट पर ट्राइल चल रहा है और साथ ही यह फैसला लिया जा रहा की इस ट्रेन का परिचालन अब मुंबई और अहमदाबाद के बीच भी शुरु कर दी जाए.

बुलेट ट्रेन को भी देती है मात

रेलवे सूत्रों की माने तो यह ट्रेन कई मामलों में बुलेट ट्रेन को भी मात देती है। भारतीय रेलवे के अधिकारियों के मुताबिक वंदे भारत ट्रेन जीरो से सौ किलोमीटर की रफ्तार तक पहुंचने में कुछ ही सेकेंड लगता है।
यह ट्रेन 54 सेकंड का समय में जीरो से 100 की स्पीड में पहुंच जाती है, जबकि दुनिया की सबसे तेज रफ्तार से चलने वाली बुलेन ट्रेन को यह दूरी तय करने में 55.4 सेकेंड लग जाता है।

अपग्रेडेड वर्जन स्पीड होगी 260 किमी प्रतिघंटा

रेलवे के अधिकारियों के अनुसार वंदे भारत ट्रेन काफी अपग्रेडेड है। इसी खासियत के कारण इस ट्रने की रफ्तार दूसरे ट्रेनों से काफी तेज है। सबसे बड़ी बात यह है कि इस ट्रेन के 16 डब्बों में से पांच में मोटर लगी होती है। स्वचलित मोटरों की मदद से ही त्वरित रफ्तार अधिक होती है।

वंदे भारत एक्सप्रेस की खासियत

वंदे मातरम् ट्रेन में कुछ खासियत है जो इसे दुसरे ट्रेनों से अलग बनाती हैं. जानकारी के लिए बता दे कि इस ट्रेन में सेंट्रलाइज्ड कोच लगाए जाएंगे, जिससे एक ही स्थान से पूरी ट्रेन पर नजर रखी जा सकेगी और ट्रेन में मौजूद सारे सिस्टम की निगरानी की जाएगी. यह ट्रेन पूरी तरह वातानुकुलित ट्रेन हैऔर आने वाले अपग्रेडेड वर्जन में इस ट्रेन का कोच बैक्टिरिया फ्री एयर कंडीशनिंग सिस्टम से लैस किया जाएगा. इसमें लोगों के बैठने की भी सहूलियत का ख़ास ध्यान दिया जायेगा. रेलवे के द्वारा इस ट्रेन में सिक्यूरिटी का भी पूरा ध्यान रखा गया है. इसमें सिक्यूरिटी फीचर के साथ चार इमरजेंसी विंडो का भी निर्माण किया जायेगा.

बुलेट ट्रेन के आगे लगे एक इंजन पर वंदे भारत के पूरे ट्रेन में लगी 20 मोटर से ज्यादा कारगर होती है। मौजूदा समय में वंदे भारत ट्रेन की स्पीड 160 किलोमीटर प्रतिघंटा है। चरणबद्ध तरीके से साल 2025 तक अपग्रेडेड वर्जन अब 260 किमी प्रतिघंटा से दौड़ेगी।

Happy Independence Day ......🙏🙏🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳75 वे स्वतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं👏👏
08/15/2022

Happy Independence Day ......🙏🙏🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
75 वे स्वतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं👏👏

धन निरंकार जी
08/10/2022

धन निरंकार जी

08/09/2022

अजमेर शरीफ-
पुष्करराज दर्शन...
सितंबर 3-4(शनि -रवि ...
शताब्दी द्वारा आना -जाना , खाना पीना, होटल में रहना तथा दर्शन .. .
4800/रूपए प्रति व्यक्ति। संपर्क करें..

"जीवन में खुश वही लोग हैंजो अपना मूल्यांकन करते है;और परेशान वह लोग हैंजो दूसरों का मूल्यांकन करते हैं।"
08/02/2022

"जीवन में खुश वही लोग हैं
जो अपना मूल्यांकन करते है;
और परेशान वह लोग हैं
जो दूसरों का मूल्यांकन करते हैं।"

सतगुरु की मेहरसजदे दा तरीका आउंदा नहीं आउंदे मैनु अरदास नी,मेरे विच नहीं कोई खुभी कोई हुनर कोई गुण खास नहींसब नजर इनायत ...
08/02/2022

सतगुरु की मेहर
सजदे दा तरीका आउंदा नहीं आउंदे मैनु अरदास नी,
मेरे विच नहीं कोई खुभी कोई हुनर कोई गुण खास नहीं
सब नजर इनायत दे तेरे
रेहमत दियां तू झड़ियां लाइयाँ,
मांगना वि नहीं आउंदा मैनु फिर भी तू मेहरा वरसाइयाँ
धन निरंकार जी
👏👏👏👏👏

 नागपंचमी (श्रावण पंचमी) 02 अगस्त विशेष〰️〰️🌸〰️〰️🌸〰️〰️🌸〰️〰️🌸〰️〰️〰️〰️🌸〰️〰️🌸〰️〰️🌸〰️〰️🌸〰️〰️श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी...
08/02/2022

नागपंचमी (श्रावण पंचमी) 02 अगस्त विशेष
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श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नागपंचमी का पर्व मनाया जाता है। इस पर्व पर प्रमुख नाग मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है और भक्त नागदेवता के दर्शन व पूजा करते हैं। सिर्फ मंदिरों में ही नहीं बल्कि घर-घर में इस दिन नागदेवता की पूजा करने का विधान है।
ऐसी मान्यता है कि जो भी इस दिन श्रद्धा व भक्ति से नागदेवता का पूजन करता है उसे व उसके परिवार को कभी भी सर्प भय नहीं होता। इस बार यह पर्व 2 अगस्त मंगलवार को है। इस दिन नागदेवता की पूजा किस प्रकार करें, इसकी विधि इस प्रकार है।
पूजन विधि
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नागपंचमी पर सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद सबसे पहले भगवान शंकर का ध्यान करें नागों की पूजा शिव के अंश के रूप में और शिव के आभूषण के रूप में ही की जाती है। क्योंकि नागों का कोई अपना अस्तित्व नहीं है। अगर वो शिव के गले में नहीं होते तो उनका क्या होता। इसलिए पहले भगवान शिव का पूजन करेंगे। शिव का अभिषेक करें, उन्हें बेलपत्र और जल चढ़ाएं।
इसके बाद शिवजी के गले में विराजमान नागों की पूजा करे। नागों को हल्दी, रोली, चावल और फूल अर्पित करें। इसके बाद चने, खील बताशे और जरा सा कच्चा दूध प्रतिकात्मक रूप से अर्पित करेंगे।
घर के मुख्य द्वार पर गोबर, गेरू या मिट्टी से सर्प की आकृति बनाएं और इसकी पूजा करें।
घर के मुख्य द्वार पर सर्प की आकृति बनाने से जहां आर्थिक लाभ होता है, वहीं घर पर आने वाली विपत्तियां भी टल जाती हैं।
इसके बाद 'ऊं कुरु कुल्ले फट् स्वाहा' का जाप करते हुए घर में जल छिड़कें। अगर आप नागपंचमी के दिन आप सामान्य रूप से भी इस मंत्र का उच्चारण करते हैं तो आपको नागों का तो आर्शीवाद मिलेगा ही साथ ही आपको भगवान शंकर का भी आशीष मिलेगा बिना शिव जी की पूजा के कभी भी नागों की पूजा ना करें। क्योंकि शिव की पूजा करके नागों की पूजा करेंगे तो वो कभी अनियंत्रित नहीं होंगे नागों की स्वतंत्र पूजा ना करें, उनकी पूजा शिव जी के आभूषण के रूप में ही करें।
नाग-नागिन के जोड़े की प्रतिमा (सोने, चांदी या तांबे से निर्मित) के सामने यह मंत्र बोलें।
अनन्तं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कम्बलम्।
शंखपाल धृतराष्ट्रं तक्षकं कालियं तथा।।
एतानि नव नामानि नागानां च महात्मनाम्।
सायंकाले पठेन्नित्यं प्रात:काले विशेषत:।।
तस्मै विषभयं नास्ति सर्वत्र विजयी भवेत्।।
इसके बाद पूजा व उपवास का संकल्प लें। नाग-नागिन के जोड़े की प्रतिमा को दूध से स्नान करवाएं। इसके बाद शुद्ध जल से स्नान कराकर गंध, फूल, धूप, दीप से पूजा करें व सफेद मिठाई का भोग लगाएं। यह प्रार्थना करें।
सर्वे नागा: प्रीयन्तां मे ये केचित् पृथिवीतले।।
ये च हेलिमरीचिस्था येन्तरे दिवि संस्थिता।
ये नदीषु महानागा ये सरस्वतिगामिन:।
ये च वापीतडागेषु तेषु सर्वेषु वै नम:।।
प्रार्थना के बाद नाग गायत्री मंत्र का जाप करें-
ऊँ नागकुलाय विद्महे विषदन्ताय धीमहि तन्नो सर्प: प्रचोदयात्।
इसके बाद सर्प सूक्त का पाठ करें
ब्रह्मलोकुषु ये सर्पा: शेषनाग पुरोगमा:।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
इन्द्रलोकेषु ये सर्पा: वासुकि प्रमुखादय:।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
कद्रवेयाश्च ये सर्पा: मातृभक्ति परायणा।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
इंद्रलोकेषु ये सर्पा: तक्षका प्रमुखादय:।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
सत्यलोकेषु ये सर्पा: वासुकिना च रक्षिता।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।मलये चैव ये सर्पा: कर्कोटक प्रमुखादय:।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
पृथिव्यांचैव ये सर्पा: ये साकेत वासिता।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
सर्वग्रामेषु ये सर्पा: वसंतिषु संच्छिता।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
ग्रामे वा यदिवारण्ये ये सर्पा प्रचरन्ति च।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
समुद्रतीरे ये सर्पा ये सर्पा जलवासिन:।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
रसातलेषु या सर्पा: अनन्तादि महाबला:।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
नागदेवता की आरती करें और प्रसाद बांट दें। इस प्रकार पूजा करने से नागदेवता प्रसन्न होते हैं और हर मनोकामना पूरी करते हैं।
नागपंचमी
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महाभारत आदि ग्रंथों में नागों की उत्पत्ति के बारे में बताया गया है। इनमें शेषनाग, वासुकि, तक्षक आदि प्रमुख हैं। नागपंचमी के अवसर पर हम आपको ग्रंथों में वर्णित प्रमुख नागों के बारे में बता रहे हैं।
तक्षक नाग
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धर्म ग्रंथों के अनुसार, तक्षक पातालवासी आठ नागों में से एक है। तक्षक के संदर्भ में महाभारत में वर्णन मिलता है। उसके अनुसार, श्रृंगी ऋषि के शाप के कारण तक्षक ने राजा परीक्षित को डसा था, जिससे उनकी मृत्यु हो गयी थी। तक्षक से बदला लेने के उद्देश्य से राजा परीक्षित के पुत्र जनमेजय ने सर्प यज्ञ किया था। इस यज्ञ में अनेक सर्प आ-आकर गिरने लगे। यह देखकर तक्षक देवराज इंद्र की शरण में गया।
जैसे ही ऋत्विजों (यज्ञ करने वाले ब्राह्मण) ने तक्षक का नाम लेकर यज्ञ में आहुति डाली, तक्षक देवलोक से यज्ञ कुंड में गिरने लगा। तभी आस्तिक ऋषि ने अपने मंत्रों से उन्हें आकाश में ही स्थिर कर दिया। उसी समय आस्तिक मुनि के कहने पर जनमेजय ने सर्प यज्ञ रोक दिया और तक्षक के प्राण बच गए।
कर्कोटक नाग
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कर्कोटक शिव के एक गण हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, सर्पों की मां कद्रू ने जब नागों को सर्प यज्ञ में भस्म होने का श्राप दिया तब भयभीत होकर कंबल नाग ब्रह्माजी के लोक में, शंखचूड़ मणिपुर राज्य में, कालिया नाग यमुना में, धृतराष्ट्र नाग प्रयाग में, एलापत्र ब्रह्मलोक में और अन्य कुरुक्षेत्र में तप करने चले गए।
ब्रह्माजी के कहने पर कर्कोटक नाग ने महाकाल वन में महामाया के सामने स्थित लिंग की स्तुति की। शिव ने प्रसन्न होकर कहा- जो नाग धर्म का आचरण करते हैं, उनका विनाश नहीं होगा। इसके बाद कर्कोटक नाग उसी शिवलिंग में प्रवेश कर गया। तब से उस लिंग को कर्कोटेश्वर कहते हैं। मान्यता है कि जो लोग पंचमी, चतुर्दशी और रविवार के दिन कर्कोटेश्वर शिवलिंग की पूजा करते हैं उन्हें सर्प पीड़ा नहीं होती।
कालिया नाग
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श्रीमद्भागवत के अनुसार, कालिया नाग यमुना नदी में अपनी पत्नियों के साथ निवास करता था। उसके जहर से यमुना नदी का पानी भी जहरीला हो गया था। श्रीकृष्ण ने जब यह देखा तो वे लीलावश यमुना नदी में कूद गए। यहां कालिया नाग व भगवान श्रीकृष्ण के बीच भयंकर युद्ध हुआ। अंत में श्रीकृष्ण ने कालिया नाग को पराजित कर दिया। तब कालिया नाग की पत्नियों ने श्रीकृष्ण से कालिया नाग को छोडऩे के लिए प्रार्थना की। तब श्रीकृष्ण ने उनसे कहा कि तुम सब यमुना नदी को छोड़कर कहीं और निवास करो। श्रीकृष्ण के कहने पर कालिया नाग परिवार सहित यमुना नदी छोड़कर कहीं और चला गया।
इनके अलावा कंबल, शंखपाल, पद्म व महापद्म आदि नाग भी धर्म ग्रंथों में पूज्यनीय बताए गए हैं।
नागपंचमी पर नागों की पूजा कर आध्यात्मिक शक्ति और धन मिलता है। लेकिन पूजा के दौरान कुछ बातों का ख्याल रखना बेहद जरूरी है।
हिंदू परंपरा में नागों की पूजा क्यों की जाती है और ज्योतिष में नाग पंचमी का क्या महत्व है।
अगर कुंडली में राहु-केतु की स्थिति ठीक ना हो तो इस दिन विशेष पूजा का लाभ पाया जा सकता है।
जिनकी कुंडली में विषकन्या या अश्वगंधा योग हो, ऐसे लोगों को भी इस दिन पूजा-उपासना करनी चाहिए. जिनको सांप के सपने आते हों या सर्प से डर लगता हो तो ऐसे लोगों को इस दिन नागों की पूजा विशेष रूप से करना चाहिए।
भूलकर भी ये ना करें
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1. जो लोग भी नागों की कृपा पाना चाहते हैं उन्हें नागपंचमी के दिन ना तो भूमि खोदनी चाहिए और ना ही साग काटना चाहिए.।
2. उपवास करने वाला मनुष्य सांयकाल को भूमि की खुदाई कभी न करे।
3. नागपंचमी के दिन धरती पर हल न चलाएं।
4. देश के कई भागों में तो इस दिन सुई धागे से किसी तरह की सिलाई आदि भी नहीं की जाती।
5. न ही आग पर तवा और लोहे की कड़ाही आदि में भोजन पकाया जाता है।
6. किसान लोग अपनी नई फसल का तब तक प्रयोग नहीं करते जब तक वह नए अनाज से बाबे को रोट न चढ़ाएं।
राहु-केतु से परेशान हों तो क्या करें
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एक बड़ी सी रस्सी में सात गांठें लगाकर प्रतिकात्मक रूप से उसे सर्प बना लें इसे एक आसन पर स्थापित करें। अब इस पर कच्चा दूध, बताशा और फूल अर्पित करें। साथ ही गुग्गल की धूप भी जलाएं.
इसके पहले राहु के मंत्र 'ऊं रां राहवे नम:' का जाप करना है और फिर केतु के मंत्र 'ऊं कें केतवे नम:' का जाप करें।
जितनी बार राहु का मंत्र जपेंगे उतनी ही बार केतु का मंत्र भी जपना है।
मंत्र का जाप करने के बाद भगवान शिव का स्मरण करते हुए एक-एक करके रस्सी की गांठ खोलते जाएं. फिर रस्सी को बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें. राहु और केतु से संबंधित जीवन में कोई समस्या है तो वह समस्या दूर हो जाएगी।
सांप से डर लगता है या सपने आते हैं।
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अगर आपको सर्प से डर लगता है या सांप के सपने आते हैं तो चांदी के दो सर्प बनवाएं साथ में एक स्वास्तिक भी बनवाएं। अगर चांदी का नहीं बनवा सकते तो जस्ते का बनवा लीजिए।
अब थाल में रखकर इन दोनों सांपों की पूजा कीजिए और एक दूसरे थाल में स्वास्तिक को रखकर उसकी अलग पूजा कीजिए।
नागों को कच्चा दूध जरा-जरा सा दीजिए और स्वास्तिक पर एक बेलपत्र अर्पित करें. फिर दोनों थाल को सामने रखकर 'ऊं नागेंद्रहाराय नम:' का जाप करें।
इसके बाद नागों को ले जाकर शिवलिंग पर अर्पित करें और स्वास्तिक को गले में धारण करें।
ऐसा करने के बाद आपके सांपों का डर दूर हो जाएगा और सपने में सांप आना बंद हो जाएंगे।
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